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आयुर्वेद तन, मन औंर आत्मा के बीच संतुलन बबाकर स्वास्थ्य में सुधर करता है । आयुर्वेद में न केवल उपचार होता है बल्कि यह जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है, जिससे जीवन लम्बा और खुशहाल होता है | आयुर्वेद के अनुसार शरीर मे वात, पित्त और कफ जैसे तीनों मूल तत्वों के संतुलन से कोई भी बीमारी आप तक नहीं आ सकती । लेकिन जब इसका संतुलन बिगडता है तो बीमारी शरीर पर हावी होने लगती है आयुर्वेद में इन्ही तीनों त्तत्वों का संतुलन बनाया जाता है । साथ ही आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने पर बल दिया जाता है ताकि किसी भी प्रकार का रोग न हो।
आयुर्विज्ञान भारत की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है । जिसका उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखना है ।
॥ स्वास्थ्य स्वस्थ रक्षणं आतुरस्यम विकार प्रशमनं ॥
आयुर्वेद का प्रयोजन सिर्फ रोगियों का इलाज / चिकित्सा करना ही नहीं बल्कि स्वस्थ जानो के स्वास्थ्य का रक्षण भी करना है । आयुर्वेद एक धीमी गति से रोग ठीक करने वाली पध्दति नहीं है, अपितु रोगों का समूल नाश करने वाली पध्दति है ।
AYURVEDA' 5000-year-old medical science of India evolved from the strong cultural and philosophical back ground. In ancient India all Knowledge's available at that time were compiled in 'Vedas'. Vedas are known as the oldest scripts of knowledge.
According to the philosophy of ancient India everything in this universe are made up of five basic elements. This theory is called 'Panchamahabhutha theory'. Ayurveda accepted Panchamahabhutha theory, and the science is built upon the basis of this theory.
Prithwi bhutha/पृथ्वी भुता ( Earth element )
Ap bhutha/आप भुता ( Water element )
Agni bhutha/अग्नि भुता( Fire element )
Vayu bhutha/वायु भुता ( Air element )
Akasa bhutha/आकाश भुता ( Ether element )
These basic elements combined in different ratios and combinations to form every thing in the universe. But in the case of living things there is a special ratio of combination to produce three functional elements, they are called as 'Doshas' or bioenrgies. These doshas are 'Vatha', 'Pitha', and 'Kapha'.
Vatha/वात is formed from the combination of elements air and ether
Pitha/पित्त is formed from fire and water element
Kapha/कफ is formed water and earth element
Doshas/दोष control all the body activities.
औषधि सिद्ध घी / तेल / छाछ / कषाय(काढ़ा) की निरंतर धरा रोगी के सिर पर निर्धारित समय (३०-४५ मिनिट) तक की जाती है । जिससे शरीर, मस्तिष्क, स्वस्थ एवं स्फूर्ति पूर्ण रहते है |
लाभ : सिरदर्द, माइग्रेन, स्ट्रेस, डिप्रेशन, मेमोरी लॉस आदि परेशानियों में लाभदायक
औषधीय मालिश रोगानुसार उपयोगी तेलों के द्वारा 50 से 60 मिनिट तक की जाती है । इससे शरीर के "वात, पित्त, कफ" ये त्रिदोष संतुलित रहते है । जिसके फलस्वरूप तन और मन दोनों ही स्वस्थ हो जाते है । अभ्यंग के बाद रोगी को steam chamber में बैठा कर औषधीय (मेडिकेटिड) सिद्ध भाप दी जाती है |
लाभ : बॉडी एवं मस्कुलर पेन,
स्टिफनेस, जकड़न, स्ट्रेस में लाभदायक
लाभ : शुगर डिटॉक्सीफिकेशन, मोटापा, बदन दर्द आदि में लाभदायक
लाभ : जोड़ों के दर्द, गठिया, घुटने के दर्द, पैरालिसिस में लाभदायक
लाभ : सीने में दर्द, ब्लॉकेज, बढे कांलंस्टॉल आदि ह्रदय संबंधित समस्याओं में लाभदायक
लाभ : स्लीप डिस्क, सायटिका, क़मरदर्द, डिंज़नरेशन आदि कमर से संबंधित समस्याओं में लाभदायक
लाभ : कमजोर नजर, नाईट ब्लाइंडनेस आदि आँखों से संबंधित परेशानियों में लाभदायक
लाभ : साइनस, माइग्रेन, कफ के कारण नाक का हमेशा बंद रहना आदि में लाभदायक
लाभ : पिम्पल्स, एंटी एजिंग, स्किन टाइटनिंग, बेस्ट टोनिंग, हेयर स्पा, फेस ग्लो
लाभ : वेट लॉस, इंच लॉस, फिगर करेक्शन, बॉडी शेपिंग, स्किन टाइटनिंग, टमी-टक
लाभ: जोड़ो के दर्द, गठिया, लकवा, घुटनों के दर्द, पेट रोग आदि में लाभदायक