Panchkarma

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पंचकर्म :

आयुर्वेद चिकित्सा का महत्वपूर्ण स्तम्भ है । जिसके द्वारा असंतुलित दोषो (टॉक्सिन्स) को शरीर से दूर कर शोधन किया जाता है |

पंचकर्म द्वारा स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा होती है (यानि की शरीर में बीमारिया पैदा होने से रोकता है )

गंभीर रोगों का इलाज किया जाता है |

पंचकर्म सभी उम्र के लिए समान रूप से उपयोगी है |

पंचकर्म द्वारा गंभीर रोगों को ठीक करने में लगने वाले समय को बहुत काम किया जा सकता है |

पंचकर्म जिसके लिए केरल विश्व प्रसिद्ध है, उसी भारतीय चिकित्सा से आपके रोग रोग को दूर कर आपका स्वास्थ्य बनाये रखना यही सुखायु का उद्देश्य है |

पंचकर्म में पांच विशेष कर्म है |

1. वमन    2. विरेचन    3. वस्ति    4. नस्य    5. अन्न वासन वस्ति  
इन पंचकर्मो में पहले स्नेहन (मसाज) और स्वेदन (स्ट्रीम) कर्मा करना अनिवार्य है | 
इन् पांच कर्मो के अतिरिक्त बहुत से कर्म है जो भी पंचकर्म के अन्तर्गत आते है |

निम्नलिखित व्याधि की चिकित्सा

घुटने, कमरदर्द, स्लीपडिस्क, गर्दन, कंधे, एड़ी, अन्य जोड़ो का दर्द, गठिया, Rheumatic & Osteoarthritis

त्वचा रोग - सोरायसिस, एक्जिमा, सफ़ेद दाग, पिम्पल्स, त्वचा के दाग धब्बे आदि

पार्किंसन, लकवा, साइटिका, थकान वैरी कॉज़्वेन्स, नसों की सभी बिमारिओ एवं न्यूरोलॉजिकल समस्याएं

मोटापा, मधुमेह, कब्ज़ गैस, पेट संबंधी रोग एवं पाइल्स

स्त्री रोग - PCOD, Tubal Block, Infertility, मासिक धर्म अनियमितता, गुप्त रोग

एनीमिया, एलर्जी, ह्रदय रोग, अनिद्रा, उच्च रक्त चाप, निम्न रक्त चाप, माइग्रेन और सभी प्रकार के सिरदर्द,, आलस्य, चिंता, डिप्रेशन आदि मनोरोग |

अस्थमा, बार बार छीके आना, टॉन्सिल्स, जुकाम, दम, नेत्र रोग, थॉयरॉइड आदि की समस्या